ईरान पर इजरायल की हमला

ईरान और इज़राइल के बीच हालिया संघर्ष ने मध्य पूर्व में गंभीर तनाव को जन्म दिया है। 13 जून 2025 को इज़राइल ने "ऑपरेशन राइजिंग लायन" के तहत ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए। इन हमलों में 200 से अधिक इज़राइली लड़ाकू विमानों ने 100 से अधिक लक्ष्यों को निशाना बनाया, जिनमें ईरान की प्रमुख यूरेनियम संवर्धन सुविधा नतांज और ईरानी क्रांतिकारी गार्ड के मुख्यालय शामिल थे। इस हमले में ईरानी जनरल होसैन सलामी और जनरल मोहम्मद बाघेरी की मौत हो गई।  

इस हमले के जवाब में, ईरान ने इज़राइल की ओर 100 से अधिक ड्रोन लॉन्च किए, जिन्हें इज़राइली रक्षा प्रणाली ने नष्ट कर दिया। इस संघर्ष ने क्षेत्रीय हवाई यातायात को प्रभावित किया, जिससे कई एयरलाइनों ने अपनी उड़ानें रद्द या मार्ग परिवर्तित कीं। वैश्विक तेल कीमतों में 8% से अधिक की वृद्धि देखी गई।  

अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम में उल्लंघन के लिए पहली बार 20 वर्षों में औपचारिक रूप से ईरान की आलोचना की थी, जिसके बाद ईरान ने अपनी संवर्धन गतिविधियों को और तेज कर दिया था। इज़राइल ने इस हमले को ईरान के परमाणु हथियारों के विकास को रोकने के लिए आवश्यक कदम बताया है।  

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस हमले की पूर्व जानकारी होने की पुष्टि की है, लेकिन उन्होंने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देने से परहेज किया है। उन्होंने ईरान से समझौता करने की आवश्यकता पर बल दिया है।  

यह संघर्ष पहले से जारी ईरान-इज़राइल तनाव का नवीनतम अध्याय है, जिसमें दोनों देशों के बीच कई बार सैन्य झड़पें और प्रतिशोधी हमले हो चुके हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह संघर्ष क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकता है।

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